۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
रहबर

हौज़ा/सुप्रीम लीडर ने बुधवार की सुबह पाकीज़ा डिफ़ेन्स के दौर के सीनियर सिपाहियों और थोपी गयी जंग के फ़ैक्ट्स बयान करने के मुख़्तलिफ़ विभागों में सरगर्म लोगों से मुलाक़ात में, पाकीज़ा डिफ़ेन्स की महानता के मुख़्तलिफ़ पहलुओं को उजागर किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने पाकीज़ा डिफ़ेन्स के दौरान कठिन मुक़ाबले में फ़तह के पायदान पर ईरानी क़ौम के खड़े होने की ज़बर्दस्त उपलब्धि, मुल्क की अखंडता की रक्षा, ईरानी क़ौम की महान सलाहियतों का उजागर होना,

मुल्क की ग़ैर भौगोलिक सरहदों का विस्तार और देश व विदेश में प्रतिरोध के अर्थ और कल्चर को बढ़ावा, दुनिया की ग़ुडा ताक़तों के मोर्चे और दुष्ट सद्दाम के मुक़ाबले में ईरानियों के व्यापक डिफ़ेन्स का नतीजा बताया।

उन्होंने बल दिया कि पाकीज़ा डिफ़ेन्स के दौर में मुल्क के नौजवानों की सलाहियतें निखरने और ताक़त तथा इनोवेशन के सामने आने से यह बात साफ़ हो गयी कि नौजवान हमेशा मुल्क के मसलों को हल करने की सलाहियत रखते हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी गणराज्य के दमन और विनाश तथा मुल्क के मुख़्तलिफ़ हिस्सों के विभाजन को थोपी गयी जंग में दुश्मनों के मुख्य लक्ष्य बताया और कहा कि इस्लामी गणराज्य बेमिसाल चीज़ थी क्योंकि उस वक़्त तक दुनिया में कोई ऐसा इंक़ेलाब नहीं आया था जिसके नतीजे में धार्मिक हुकूमत अस्तित्व में आए और वह अवामी भी हो, इसीलिए दुनिया की धौंस व धमकी देने वाली ताक़तें चाहती थीं कि इस नई हक़ीक़त यानी इस्लामी गणराज्य और धार्मिक प्रजातंत्र को ख़त्म कर दें और वो अब भी इसी लक्ष्य को साधने की कोशिश में हैं।

उन्होंने किसी मुल्क के एक भाग को अलग करने के लिए सरहदी जंगों को आम बात बताया और कहा कि इस तरह की जंगों के विपरीत, थोपी गयी जंग का लक्ष्य एक मुल्क के अस्तित्व, एक क़ौम की पहचान, उसकी मेहनत और कारनामों को नष्ट करना था, इस लेहाज़ से देखा जाए तो पाकीज़ा डिफ़ेन्स की महानता पूरी तरह उजागर हो जाती है।

इस्लामी क्रांति के नेता का कहना था कि पाकीज़ा डिफ़ेन्स की महानता को समझने के लिए ईरान पर हमला करने वालों की अस्ली हक़ीक़त पर ध्यान देना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि उस वक़्त दुनिया की सभी बड़ी ताक़तें एक मोर्चे पर इकट्ठा हो गयी थीं और उन्होंने ईरानी क़ौम पर सद्दाम के हमले का सपोर्ट किया था।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने साम्राज्यवाद की ओर से सद्दाम को दी जाने वाली मुख़्तलिफ़ तरह की मदद की व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसी रिपोर्टें थी जिनमें बताया गया था कि सद्दाम को ईरान पर हमले के लिए वरग़लाने वाला मुख्य रूप से अमरीका था।

अमरीकियों ने लगातार इंटेलिजेन्स मदद के साथ ही हमलावरों को जंग की टैक्टिक्स सिखाईं, फ़्रांस वालों ने सद्दाम को हवाई हमले की सबसे आधुनिक टेक्नॉलोजी दी, जर्मनी वालों ने उसे जनसंहारक केमिकल हथियार बनाने की टेक्नॉलोजी दी, पूर्व सोवियत यूनियन की अगुवाई में पूर्वी ब्लॉक भी ज़मीनी और हवाई जंग की ज़रूरत का सारा साज़ो-सामान सद्दाम को देता था और इलाक़े के अरब मुल्क उसे बेहिसाब पैसे देते थे।

उन्होंने साम्राज्यवाद, सद्दाम और इलाक़े के अरब मुल्कों के मोर्चे से ईरानी क़ौम की जंग की ओर इशारा करते हुए कहा कि ईरानी क़ौम, इस तरह की असमान जंग में फ़तह के पायदान पर खड़ी हुयी और उसने अपनी महानता का प्रदर्शन किया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह मुल्क व क़ौम के लिए पाकीज़ा डिफ़ेन्स की बेमिसाल व बेशुमार उपलब्धियों की ओर इशारा किया और कहा कि मुल्क की अखंडता की रक्षा और देश की एक इंच ज़मीन का भी उससे अलग न होना, इन नतीजों में से एक है। उन्होंने कहा कि क़ौम की महान सलाहियतों का सामने आना, पाकीज़ा डिफ़ेन्स के अहम नतीजों में है और ईरानी क़ौम ने क़ाजारी और पहलवी शासकों सहित बड़ी ताक़तों के पिट्ठुओं के लज्जाजनक प्रोपैगंडों के बरख़िलाफ़ पाकीज़ा डिफ़ेन्स के आइने में अपनी सलाहियतों को देखा और उन पर यक़ीन किया क्योंकि सारे दुश्मन 8 साल तक उसके ख़िलाफ़ एकजटु हो गए लेकिन इस क़ौम का कुछ भी बिगाड़ न पाए।

उन्होंने ईरान के पूरी तरह सुरक्षित हो जाने को भी 8 साल तक थोपी गयी जंग का एक नतीजा बताया और कहा कि बड़े पैमाने पर भरपूर डिफ़ेन्स की वजह से मुल्क बड़ी हद तक संभावित फ़ौजी हमलों से सुरक्षित हो गया और जैसा कि हमने देखा बारबार कहा गया कि फ़ौजी ऑप्शन मेज़ पर है, लेकिन वह ऑप्शन मेज़ से हिल भी नहीं पाया क्योंकि दुश्मन, जंग में ईरानी क़ौम को पहचान चुके थे और जानते थे कि वह किसी हरकत की शुरूआत तो कर सकते हैं लेकिन उसे ख़त्म ईरानी क़ौम ही करेगी।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मुल्क के भीतर प्रतिरोध की सोच के विकास व मज़बूती को पाकीज़ा डिफ़ेन्स का एक और नतीजा बताया और कहा कि जंग के बाद गुज़रे 30-35 साल में मुख़्तलिफ़ तरह के हमले और फ़ितने हुए लेकिन वो सभी क़ौम में प्रतिरोध का कल्चर मज़बूत हो जाने की वजह से नाकाम रहे।

उन्होंने अपने ख़िताब के आख़िर में कहा कि अल्लाह का वादा है कि अगर कामों में हमारी नीयत पाक हुयी तो हमें अल्लाह की मदद ज़रूरी मिलेगी इसलिए जब तक हम अल्लाह की राह पर हैं और अल्लाह के लिए काम कर रहे हैं, चाहे हमें समझ में आए या न आए, निश्चित तौर पर अल्लाह हमारी मदद करेगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के ख़िताब से पहले पाकीज़ा डिफ़ेन्स के मुख़्तलिफ़ विभाग में सरगर्म छे लोगों ने पाकीज़ा डिफ़ेन्स के आइडियल के इस्तेमाल के बारे में कुछ बिन्दु बयान किए।

इसके बाद पाकीज़ा डिफ़ेन्स के मूल्यों के प्रसार और इस मैदान में अंजाम पाने वाले कामों और सरगर्मियों की देखभाल करने व बढ़ावा देने वाले फ़ाउंडेशन के प्रमुख, जनरल बहमन कारगर ने इस फ़ाउंडेशन के प्रोग्रामों और कामों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।
 

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